हाल ही में, देश के उपाध्यक्ष श्री जगदीप धनखड़ ने छत्रपति संभाजिनगर (महाराष्ट्र) में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के 65वें दीक्षांत समारोह में देश के सामने एक महत्वपूर्ण संदेश रखा। इस अवसर पर उन्होंने अवैध प्रवास, धर्मांतरण के जरिए जनसंख्या में बदलाव, और चुनावी प्रक्रिया में अनैतिक हस्तक्षेप जैसी संवेदनशील मुद्दों पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की। इस ब्लॉग में हम उनके वक्तव्य के मुख्य बिंदुओं और उनके द्वारा उठाई गई चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
अवैध प्रवास: चुनौतियों का विस्तृत परिचय
उपाध्यक्ष ने यह जोर देकर कहा कि हमारे देश में ऐसे करोड़ों लोग रह रहे हैं जिनके पास यहाँ रहने का वैध अधिकार नहीं है। ये लोग न केवल यहाँ जीवनयापन कर रहे हैं, बल्कि देश के मौलिक संसाधनों पर भी दबाव डाल रहे हैं – चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य या आवास संबंधी सुविधाएँ। इस स्थिति से न केवल आर्थिक दबाव बढ़ रहा है, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में भी हस्तक्षेप की आशंकाएँ बढ़ गई हैं।
- अवैध प्रवास से राष्ट्रीय संसाधनों पर बढ़ता दबाव
- शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आवास क्षेत्रों में मांगों का असंतुलन
- चुनाव प्रक्रिया में अनधिकृत हस्तक्षेप
हमारे भारत में करोड़ों की संख्या में ऐसे लोग रह रहे हैं, जिनको यहां रहने का अधिकार नहीं है। They are making their livelihood here, making demands on our resources—education, health sector, housing sector—और अब तो बात आगे बढ़ गई है।
They are intervening in our electoral process.…
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February 22, 2025
धर्मांतरण के जरिए जनसांख्यिकी में बदलाव की चुनौती
उपाध्यक्ष ने यह स्पष्ट किया कि हर व्यक्ति का अपने धर्म का चयन करने का अधिकार है, परंतु जब धर्मांतरण आकर्षण और लालच के द्वारा किया जाता है, जिसका उद्देश्य देश की जनसंख्या संरचना में अस्वाभाविक परिवर्तन लाना होता है, तो यह देश के मूलभूत ताने-बाने के लिए खतरा बन जाता है। उनका कहना था कि ऐतिहासिक उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि ऐसे कदमों से समाज की मूल पहचान ही मिट सकती है।
हर व्यक्ति का अधिकार है कि वह जिस धर्म का चाहे पालन करे, अपनी इच्छा से कोई भी धर्म अपनाए। लेकिन जब लालच देकर, लोभ देकर—by allurement, by temptation—धर्मांतरण होता है, और उसका उद्देश्य यह होता है कि we will get supremacy by changing the demography of the Nation, तो यह गंभीर चिंता…
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February 22, 2025
चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप और संस्थागत चुनौतियाँ
उपाध्यक्ष ने न केवल अवैध प्रवास, बल्कि देश की चुनावी प्रक्रिया में हो रहे अनधिकृत हस्तक्षेप पर भी कड़ी टिप्णी की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य संस्थागत प्रतिनिधियों का मजाक उड़ाया जा रहा है, जिससे हमारे लोकतांत्रिक तंत्र पर आघात पहुंच रहा है। चुनाव आयोग और न्यायपालिका समेत अन्य संस्थाएँ भी इन गतिविधियों से प्रभावित हो रही हैं।
- राष्ट्रीय नेताओं का अपमान और संस्थानों की बदनामी
- चुनावी प्रक्रिया में अवैध हस्तक्षेप
- समीक्षा और गहन जांच की आवश्यकता
There is another systemic challenge. The President is ridiculed. The Prime Minister is ridiculed. My position is ridiculed. Our institutions, Election Commission, Judiciary are tainted. These acts come from those without national interest at heart.
Recently, it was…
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February 22, 2025
राष्ट्र-विरोधी ताकतें, जो हमारे प्रजातांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात करती हैं, संविधान की आत्मा को धूमिल करना चाहती हैं और हमारी संस्थाओं को बदनाम करती हैं—जब वे हमारे मूल आधार पर प्रहार करती हैं, तो उनका प्रतिघात आवश्यक है। यह हर व्यक्ति का कर्तव्य है।…
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February 22, 2025
सामाजिक परिवर्तन और नागरिक कर्तव्य का महत्व
उपाध्यक्ष ने संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों की बात करते हुए कहा कि इन अधिकारों तक पहुंच केवल तभी संभव है जब नागरिक अपने मौलिक और नागरिक कर्तव्यों का पालन करें। उन्होंने सामाजिक समरसता, विविधता में एकता और पारंपरिक परिवार मूल्यों पर जोर दिया। यह संदेश आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है, जब समाज में विभाजन की दर बढ़ती जा रही है।
Social transformation comes with social harmony, which defines unity in diversity. It converts caste, creed, and religion—the divisive situations—into a force of unity. Let us generate social harmony at all costs.
We are a unique civilization—spiritualistic, religious, and…
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February 22, 2025
Our Constitution grants us Fundamental Rights, but passage to them has to be earned—through fundamental and civic duties.
Imagine a country where public order is challenged, property is burned, and agitations replace lawful redress in courts or legislatures.
Time has come for…
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February 22, 2025
पर्यावरण सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत का संदेश
उपाध्यक्ष ने जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौतियों पर भी चिंता जताई और पर्यावरण सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा प्रारंभ किए गए “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के प्रति नागरिकों से अपील की कि वे इस मुहिम में सक्रिय भागीदारी निभाएं। स्वदेशी उत्पादों और स्थानीय संसाधनों का समर्थन कर ही हम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
निष्कर्ष: अपने लोकतंत्र की रक्षा में सहभागी बनें
उपाध्यक्ष के इन सशक्त संदेशों से स्पष्ट होता है कि हमें अपने संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक मूल्यों की रक्षा के लिए जागरूक होना आवश्यक है। अवैध प्रवास, धर्मांतरण और चुनावी प्रक्रिया में अनधिकृत हस्तक्षेप जैसी चुनौतियाँ न केवल हमारे मौलिक अधिकारों पर सवाल उठाती हैं, बल्कि हमारे राष्ट्रीय ताने-बाने को भी कमजोर कर देती हैं।
आइए, हम सब मिलकर जागरूकता फैलाएं, अपने कर्तव्यों का पालन करें और देश की प्रगति एवं अखंडता के लिए एकजुट हों। अपने विचार और सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में साझा करें।